Thursday, 22 September 2016

एक बहस

एक बहस
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होते है जब हमले तो दिल्ली इतना रोती है क्यों
कश्मीर की घाटी में ही खून हमेशा बहती हैं क्यों
राजनीति में ताने सीना खूब भाषण बाजी होती है
आकाश में गंगा बहाने की इंद्र तक बातें चलती है
रोज फाईव स्टार होटल में सितारों से बतियातें है
हमारे नेता श्रद्धांजलि तो ट्विटर पर ही दे जाते है
सैनिक गाड़े झंडा भारत की सीमा पर लड़ जाते है
शहीद पिताजी जंग जीतने को अपने बेटे सौंप जाते है 
बावजूद, थोड़ी सांत्वना दे सरकार अब सोती है क्यों
होते है जब हमले तो दिल्ली इतना रोती है क्यों
नहीं मिटे है सबूत अभी भगत सिंह के गोलों की
नहीं टूटे है शब्द वही आजाद पर अपने होठों की
डायर जैसे कायर ने अगर निहत्थों को मारा है
तो उधम सिंह ने भी कायर को घर में जाकर मारा है 
महिलाओं के माथे के सिन्दूर नहीं अगर आ सकते है
तो श्रधांजलि देने के लिए कश्मीर तो पूरा ला सकते है
चलो सौंप दो सैनिक हमें, अगर युद्द से डर लगता हो
और नहीं तो बात साफ करो की जंग शुरू अब होता है
त्यागकर सब कुछ वो तो सीमा पर फूल डाले हँसता है....
बावजूद, बस दिलासा दे कुरबानी भूल जाती हैं क्यों
होते है जब हमले तो दिल्ली इतना रोती है क्यों
कश्मीर की घाटी में ही खून हमेशा बहती है क्यों
प्रभात "कृष्ण"



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