Monday 16 March 2015

कवि तुम भी हो कवि मैं भी हूँ

लीजिये प्रस्तुत है हिंदी से अपने लगाव पर सुन्दर गाथा-

कवि तुम भी हो कवि मैं भी हूँ
मैं कविता की पीड़ा और कविता भी हूँ

गंगा का नीर मैं हूँ
अर्जुन का तीर मैं हूँ
राधा का प्रेम मैं हूँ
मीरा सा पीर भी मैं हूँ
मैं राम का वनवास हूँ
सीता की अग्नि परीक्षा भी मैं हूँ
मैं तपती धूप और चलता समीर भी हूँ
तुम केवल तेज ज्वाला हो और मैं जला भी हूँ

झांसी रानी की गौरवगाथा हूँ
शेर ए मैसूर सा योद्धा भी हूँ
मैं गांधी वादी अहिंसा हूँ
मैं आजाद, भगत सिंह भी हूँ
विवेकानंद मैं ही हूँ
मैं तिलक और पाल भी हूँ
सरोवर में खिले तुम भी हो मैं भी हूँ
तुम तैरकर आया जलकुम्भी हो और मैं अरविन्द हूँ

हिन्दी कविता का समर्पण मैं हूँ
मैं ही उसका विश्वास और त्याग हूँ
अनन्य संस्कार मैं संस्कृति भी हूँ
मैं बचपन का कृष्ण हूँ
महाभारत की गाथा मैं हूँ
मैं ही वेद और रामायण भी हूँ
कश्मीर का सूर्योदय तो कन्याकुमारी का सूर्यास्त भी हूँ
तुम ईष्ट इण्डिया कंपनी हो और मैं हिन्दुस्तान हूँ

कबीर अमृतवाणी मैं हूँ
मैं ही अंधा सूरदास हूँ
बिहारी सतसई और रसखान भी हूँ
मैं ही तुलसीदास हूँ  
रामचंद्र शुक्ल का इतिहास भी मैं हूँ
मैं प्रेमचंद और प्रसाद भी हूँ
मैं अतीत के इतिहास से लेकर वर्तमान का यार हूँ
तुम केवल अन्धकार हो और मैं भविष्य का प्रभात हूँ 

-"प्रभात"        

  

15 comments:

  1. बहुत सुन्दर...............
    आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ इस संग्रहणीय पोस्ट के लिए...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी दया बनी रहे ............बहुत बहुत मैं शुक्रगुजार है!

      Delete
  2. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया आपको यहाँ पधारने के लिए!

      Delete
  3. बहुत-बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब .. देश प्रेम का भाव लिए ... अपने गौरव पर विश्वास लिए सुन्दर रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद आपका स्नेह मुझको मिलता रहे .... आपका इसी तरीके से एक टिप्पणी देना कुछ नया लिखना का कारण बनता है!

      Delete
    2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-03-2015) को "मायूसियाँ इन्सान को रहने नहीं देती" (चर्चा अंक - 1921) पर भी होगी।
      --
      सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
      --
      हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
      सादर...!
      डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

      Delete
    3. आदरणीय मयंक जी, बहुत- बहुत आभार..

      Delete
  5. बहुत ही सुंदर और देशप्रेम के भाव से लबरेज एक उम्‍दा रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको शुक्रिया कहकशां जी........आपकी टिप्पणी मुझे जवाब देने पर मजबूर करती है!

      Delete
  6. तुम केवल तेज ज्वाला हो और मैं जला भी हूँ
    जो जल सकता हैं .............. आँसू बन कर गल सकता हैं
    वही सच लिख सकता हैं...... बहुत सुन्दर भावों की भाव सूची....
    http://savanxxx.blogspot.in

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह वर्धक ...शुक्रिया............क्या बात है!

      Delete
  7. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई
    मेरे ब्लाग पर भी आप जैसे गुणीजनो का मार्गदर्शन प्रार्थनीय है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया.

      Delete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!