मैं तुम्हे
भूलता हूँ तभी तो याद करता हूँ
तुम्हारी तन्हाई में
कभी तो याद करता हूँ
मैं साथ रहूँ या न
रहूँ
मगर हम रहें ये
अरदास करता हूँ!
*************************
तुम खीझ गए हो
तुम रूठ गए हो
तुम भूल गए हो
तुम मुझसे कहते हो
क्यों? 'तुम' ये सब करना
भूल गए हो!
**********************************
हो ली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-03-2015) को "होली हो ली" { चर्चा अंक-1911 } पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भावमय करते शब्दों का संगम बिल्कुल जिंदा कविता ..आभार इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार........सधन्यवाद!
Delete