Friday, 6 March 2015

मुक्तक

मैं तुम्हे भूलता हूँ तभी तो याद करता हूँ 
तुम्हारी तन्हाई में कभी तो याद करता हूँ 
मैं साथ रहूँ या न रहूँ 
मगर हम रहें ये अरदास करता हूँ!
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तुम खीझ गए हो 
तुम रूठ गए हो 
तुम भूल गए हो 
तुम मुझसे कहते हो 
क्यों? 'तुम' ये सब करना भूल गए हो!

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3 comments:

  1. हो ली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-03-2015) को "होली हो ली" { चर्चा अंक-1911 } पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. भावमय करते शब्‍दों का संगम बिल्‍कुल जिंदा कविता ..आभार इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिए ।

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    Replies
    1. बहुत-बहुत आभार........सधन्यवाद!

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