आहत मन की करूण वेदना प्रखर हुई है जब जब
जागा मैं, आंखे खुली पर छा गयी उदासी तब तब
जागा मैं, आंखे खुली पर छा गयी उदासी तब तब
नदियां उफनी, बादल गरजा, छाया तिमिर तिहुँ ओर
भावनाओं के वशीभूत है ये, जिंदगी की राह हर ओर
भावनाओं के वशीभूत है ये, जिंदगी की राह हर ओर
वक्त ने सिखाया है इतना, विपत्ति है आती जब-जब
हौंसलों से पार होती है, अश्रु में डूबी नैया तब-तब
हौंसलों से पार होती है, अश्रु में डूबी नैया तब-तब
-प्रभात
(तस्वीर: गूगल साभार)
सादर आभार
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