Thursday 25 May 2017

"तुम बिन"

"तुम बिन"
कोई रात नहीं जो गुजरी हो तुम बिन
कभी सपने में आकर 
खूब जोर से चिल्लाते हो
कभी साया बनकर
पीछे देखे जाते हो
वो हंसी नहीं आयी चेहरे पर तुम बिन
कोई रात नहीं .......
कितनी प्यारी शाम हुई थी
जब आंखों-आंखों में बात हुई थी
जाते-जाते कह दिया था
तुम मेरे अपने हो
जैसे तुमने हर लिया था
जो भी कभी दर्द मिला था
शब्द अब एहसास बन छू रहे तुम बिन
कोई रात नहीं........
जब-जब भीगें नैन हमारे
तुमसे मिलकर भूले गम सारे
साथ रहें कभी सोंचा न था
न रहकर भी थे साथ तुम्हारे
थी गुजरी रातें तेरी बाहों में 
याद है वो आंखों के इशारे
मयखाने की ख़ुशबू ले सो रहे तुम बिन
कोई रात नहीं........

-प्रभात

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