विश्व पुस्तक दिवस विशेष: 23 अप्रैल
कल विश्व पुस्तक दिवस था। किताब पर ख्याल आया कि आज बस्ते में किताबों की जगह लैपटॉप दिखते है..शायद डिजिटल क्रांति का महत्व तो दिखाई देने लगा है लेकिन हमने बच्चों के चम्पक, उनकी पाठ्यपुस्तकों के अनार के दाने वाले पन्ने, पेंसिल और कलम दवात छीन लिए। इस तरह हमने उनसे साहित्य, श्रुतिलेखन, कला, रूचि जैसी चीज़ें भी छीन कर सब कुछ यहां तक कि उनका जीवन भी तो छीन लिया ही है। क्योंकि डिजिटल की तरफ अंधी दौड़ में मोबाइल पकड़ाकर उनसे उनका हंसता खेलता स्वस्थ बचपन भी छीन ही लिया है।
कल विश्व पुस्तक दिवस था। किताब पर ख्याल आया कि आज बस्ते में किताबों की जगह लैपटॉप दिखते है..शायद डिजिटल क्रांति का महत्व तो दिखाई देने लगा है लेकिन हमने बच्चों के चम्पक, उनकी पाठ्यपुस्तकों के अनार के दाने वाले पन्ने, पेंसिल और कलम दवात छीन लिए। इस तरह हमने उनसे साहित्य, श्रुतिलेखन, कला, रूचि जैसी चीज़ें भी छीन कर सब कुछ यहां तक कि उनका जीवन भी तो छीन लिया ही है। क्योंकि डिजिटल की तरफ अंधी दौड़ में मोबाइल पकड़ाकर उनसे उनका हंसता खेलता स्वस्थ बचपन भी छीन ही लिया है।
साक्षर हो गए इस कदर हम कि बस
मोबाइल पर अंगुलियां चलने लगी है
मोबाइल पर अंगुलियां चलने लगी है
फेसबुक पर जब से रहने लग गए
दोस्तों की लंबी लिस्ट बनने लगी है
दोस्तों की लंबी लिस्ट बनने लगी है
आंखों के इर्द गिर्द काले धब्बे बन गए
नींद की गोली भी बेअसर होने लगी है
नींद की गोली भी बेअसर होने लगी है
टीवी सीरियल के दीवानें बन गए ऐसे
अच्छे रेडियो बाजार से हटने लगे है
अच्छे रेडियो बाजार से हटने लगे है
व्हाट्सएप के हंसगुल्ले में मस्त हो गए
जबसे इमोजी भी बेवजह डलने लगे है
जबसे इमोजी भी बेवजह डलने लगे है
न्यूज पेपर भी पढ़े जैसे अरसा हो गया
अब खबरें हम सनसनी खोजने लगे है
अब खबरें हम सनसनी खोजने लगे है
अंगुलियां स्क्रीन पर कलम बन गयी तो
डायरी भी दुकानों से गायब होने लगे हैं
डायरी भी दुकानों से गायब होने लगे हैं
फेसबुक की पढ़ाई में पढ़ना भूल गए
किताबों की फोटो क्लिक करने लगे है
किताबों की फोटो क्लिक करने लगे है
साहित्य है बीसी, एम सी की साईट पर
अच्छे उपन्यासों से रिश्ते छूटने लगे है
अच्छे उपन्यासों से रिश्ते छूटने लगे है
#WorldBookDay
-प्रभात
-प्रभात
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १७०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " अरे दीवानों - मुझे पहचानो : १७०० वीं ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत आभार
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद
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