Friday, 17 February 2017

वो अजब रात

वो अजब रात याद आते रहे

शब्द बुनते रहे यूँ सुनाते रहे
बात होती रही तुम पास आते रहे
फोन कट गया लगा फोन आते रहे
वो अजब रात ...
प्यार में गले लगते लगाते रहे
नींद को तुमसे बाँट लेते रहे
बात होने के बाद राह तकते रहे
वो अजब रात...
हुई बातें सोंचकर मुस्कुराते रहे
इश्क़ में तुमसे जुड़े जाते रहें
दोस्त कहकर फिर रुलाते रहे
वो अजब रात...
-प्रभात
(20/01/17)
तस्वीर गूगल साभार

2 comments:

  1. सच ऐसे भाव भी मन में कहीं न कहीं छुपे ही रहते हैं....बहुत बढ़िया रचना

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