वो अजब रात याद आते रहे
शब्द बुनते रहे यूँ सुनाते रहे
बात होती रही तुम पास आते रहे
फोन कट गया लगा फोन आते रहे
वो अजब रात ...
बात होती रही तुम पास आते रहे
फोन कट गया लगा फोन आते रहे
वो अजब रात ...
प्यार में गले लगते लगाते रहे
नींद को तुमसे बाँट लेते रहे
बात होने के बाद राह तकते रहे
वो अजब रात...
नींद को तुमसे बाँट लेते रहे
बात होने के बाद राह तकते रहे
वो अजब रात...
हुई बातें सोंचकर मुस्कुराते रहे
इश्क़ में तुमसे जुड़े जाते रहें
दोस्त कहकर फिर रुलाते रहे
वो अजब रात...
-प्रभात
(20/01/17)
तस्वीर गूगल साभार
इश्क़ में तुमसे जुड़े जाते रहें
दोस्त कहकर फिर रुलाते रहे
वो अजब रात...
-प्रभात
(20/01/17)
तस्वीर गूगल साभार
आभार
ReplyDeleteसच ऐसे भाव भी मन में कहीं न कहीं छुपे ही रहते हैं....बहुत बढ़िया रचना
ReplyDelete