स्वागत है हर किसी का
जो हौंसले बढ़ाते हो
मैंने उम्मीद नहीं तोड़ा
तुम्हारी इन्ही खूबियों की वजह से
आज हूँ जहाँ वहां
कई तरह के जीव है
कोई हौंसले बढ़ाता है
तो कोई गिराता है
मकड़ी का जाला याद आता है जब
तब मुझे सहारा नज़र आता है
दिल
चाहता है कि मैं भी जाला बुनूं
नहीं प्रभात! तुम जाले बुनो मगर
ऐसे जाले जो कभी टूट न सके
उन जालो में केवल तुम्हारा घर न हो
बल्कि समस्त विश्व समाया हो
वह प्रेम का केवल रूप हो
उसे केवल तुम ही बना सको
ताकि लोग मकड़ी की तरह
तुम्हे याद कर सके
परन्तु याद रखना
कुछ हासिल करने के लिए
या किसी से और बेहतर करने के लिए
योगदान स्वरुप कोई न कोई होता है
ऐसे गुरु से ली गयी विद्या का
अहंकार कभी न हो
-प्रभात
kya khub likhahai aapne!
ReplyDeleteयह तो आपकी मेहरबानी है .......जो आपने सिखाया
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