Wednesday 11 February 2015

प्रेम नाम का दरिया है ऐसा जिसको चाहा है ले डूबा है ।

प्रेम नाम का दरिया है ऐसा, जिसको चाहा है ले डूबा है
कुछ परिणामों ने साथ दिया, कुछ को कर्ज ने ले डूबा है
   
ref.- google









सुन्दर संवरती चट्टान हमारी है, निर्मल मन कह बैठा है
गहरी खंदक को जाकर भी, प्रेम प्रकाश जला बैठा है

भाग्य लिखती है कुछ ऐसा, जिसने चाहा है वो दिया है
कार्य करा मन की जिज्ञासा ने, पूर्ण भाव से भर दिया है

सदा समर्पित प्यार तुम्हारा, जब भी अहसास हुआ है
तब - तब मीरा के प्रेम का, गलियों में उपहास हुआ है

प्रभात कह रहा है, कुछ कहानियां प्रेम पर लिखी जाती है
ये तैरते हुए नाव का अंदाज है, न चाहते हुए भी ले डूबा है      


                                                                                  “-प्रभात” 

12 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना। आपने सही कहा कि प्रेम नाम का दरिया है ऐसा, जिसको चाहा है ले डूबा है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी शुक्रिया आपका यहाँ पधारने के लिए!

      Delete
  2. कल 15/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  3. नई पोस्‍ट का इंतजार है। टाइम मिलते ही पोस्‍ट करिएगा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जल्द ही कोशिश रहेगी ......आभार !

      Delete
  4. sundar post...pyara likhe hain..

    ReplyDelete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!