Wednesday, 25 February 2015

प्रेम पर चर्चा!

है सुकून कहाँ जीवन में, हर ओर प्रेम का घोटाला है,
राम नाम के चर्चा वाला यह मंदिर कितना काला है 1।

फूलों से सजा हुआ है, यह मानुष प्रेम का माला है,
हुंकार भरे यह रथ का राजा, आगे युद्ध का भाला है 2।

प्रेम के वशीभूत हुआ, प्रेमी कैसा निर्दयी वाला है,
प्रेमिका के चंचल मुखड़े पर मैला अम्ल डाला है 3।

ताजमहल सी बनी इमारत प्रेम का घना एक जाला है,
नेपथ्य में जाकर देखा, बहा हुआ खून का नाला है 4।

धर्म बताते वही सारे, जिनसे नहीं प्रेम का पाला है,
नरसंहारी बन राह दिखाता यह क्रूर मन का जाला है 5।

प्रतिबिम्ब बना कर लगाया हुआ, यह जो दुशाला है,
पीछे बैठे ढोंगी बाबा का जमकर किया घोटाला है 6।

प्रेम नाम का जला कर बैठा, कितना सुन्दर ज्वाला है,
पास बैठकर देखो तो यह दुर्गंधयुक्त और विष वाला है 7।
     
कहने को तो यह पर्वत पर, घी के दिए का उजाला है,
दम तोड़ने वाले उजाले की परिभाषा बनने वाला है 8।

जहाँ एक ओर सुरीली आवाज में, उसका लाला है,
उसी माँ का प्रेम, बनी बहू की देह का ज्वाला है 9।

गऊ माँ के मूत्र और गोबर की पूजा करने वाला है,
उसी माँ पर बढ़ते अत्याचारों का बोलबाला है 10।

सुन्दर रूप वालों की दुनिया, भाग्य बनाने वाला है,
ऐसे भाग्य विधाताओं से भेदभाव आने वाला है 11।

मंदिर-मस्जिद में चढ़ने वाला चीज, कैसा गुणवाला है,
खाकर मोटे होने वाले धर्मगुरुओं का यह प्याला है 12।

यह समाज बना, पुरुषों वाला कितना मन चला है,
नारी विकास के संकीर्ण विचारों में कुछ काला है 13।
  
ये आत्ममंथन और दूरदर्शी सोंचों, का एक धर्मशाला है,
हर भावना की कद्र कर लिखा प्रेम का ही एक ज्वाला है 14।

यह धर्म पाखंडी और लूटने वालों की चौहद्दी पर ताला है,
“प्रभात” नाम के बोल पर जपने वाली एक माला है  15।
                                                                            -प्रभात

4 comments:

  1. मंदिर-मस्जिद में चढ़ने वाला चीज, कैसा गुणवाला है,
    खाकर मोटे होने वाले धर्मगुरुओं का यह प्याला है
    बहुत सुंदर रचना.
    नई पोस्ट : परंपराएं आज भी जीवित हैं

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  2. बहुत खूब सर जी। क्‍या खूब लिखा है।

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    Replies
    1. कहकशां जी बस आप लोगों का सहयोग है .......जो लिख लेता हूँ. शुक्रिया!

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