है सुकून कहाँ जीवन में, हर ओर प्रेम का घोटाला
है,
राम नाम के चर्चा वाला यह मंदिर कितना काला है
। ।1।
फूलों से सजा हुआ है, यह मानुष प्रेम का माला
है,
हुंकार भरे यह रथ का राजा, आगे युद्ध का भाला
है । ।2।
प्रेम के वशीभूत हुआ, प्रेमी कैसा निर्दयी वाला
है,
प्रेमिका के चंचल मुखड़े पर मैला अम्ल डाला है । ।3।
ताजमहल सी बनी इमारत प्रेम का घना एक जाला है,
नेपथ्य में जाकर देखा, बहा हुआ खून का नाला है
। ।4।
धर्म बताते वही सारे, जिनसे नहीं प्रेम का पाला
है,
नरसंहारी बन राह दिखाता यह क्रूर मन का जाला
है । ।5।
प्रतिबिम्ब बना कर लगाया हुआ, यह जो दुशाला है,
पीछे बैठे ढोंगी बाबा का जमकर किया घोटाला है । ।6।
प्रेम नाम का जला कर बैठा, कितना सुन्दर ज्वाला
है,
पास बैठकर देखो तो यह दुर्गंधयुक्त और विष
वाला है । ।7।
कहने को तो यह पर्वत पर, घी के दिए का उजाला है,
दम तोड़ने वाले उजाले की परिभाषा बनने वाला है । ।8।
जहाँ एक ओर सुरीली आवाज में, उसका लाला है,
उसी माँ का प्रेम, बनी बहू की देह का ज्वाला
है । ।9।
गऊ माँ के मूत्र और गोबर की पूजा करने वाला है,
उसी माँ पर बढ़ते अत्याचारों का बोलबाला है । ।10।
सुन्दर रूप वालों की दुनिया, भाग्य बनाने वाला
है,
ऐसे भाग्य विधाताओं से भेदभाव आने वाला है । ।11।
मंदिर-मस्जिद में चढ़ने वाला चीज, कैसा गुणवाला
है,
खाकर मोटे होने वाले धर्मगुरुओं का यह प्याला
है । ।12।
यह समाज बना, पुरुषों वाला कितना मन चला है,
नारी विकास के संकीर्ण विचारों में कुछ काला
है । ।13।
ये आत्ममंथन और दूरदर्शी सोंचों, का एक धर्मशाला
है,
हर भावना की कद्र कर लिखा प्रेम का ही एक ज्वाला
है । ।14।
यह धर्म पाखंडी और लूटने वालों की चौहद्दी पर
ताला है,
“प्रभात” नाम के बोल पर जपने वाली एक माला है । ।15।
-प्रभात
मंदिर-मस्जिद में चढ़ने वाला चीज, कैसा गुणवाला है,
ReplyDeleteखाकर मोटे होने वाले धर्मगुरुओं का यह प्याला है
बहुत सुंदर रचना.
नई पोस्ट : परंपराएं आज भी जीवित हैं
धन्यवाद!
Deleteबहुत खूब सर जी। क्या खूब लिखा है।
ReplyDeleteकहकशां जी बस आप लोगों का सहयोग है .......जो लिख लेता हूँ. शुक्रिया!
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