प्रेम नाम का दरिया है ऐसा, जिसको चाहा है ले डूबा
है ।
कुछ परिणामों ने साथ दिया, कुछ को कर्ज ने ले
डूबा है ।।
ref.- google |
सुन्दर संवरती चट्टान हमारी है, निर्मल मन कह बैठा है ।
गहरी खंदक को जाकर भी, प्रेम प्रकाश जला बैठा
है ।।
भाग्य लिखती है कुछ ऐसा, जिसने चाहा है वो दिया
है ।
कार्य करा मन की जिज्ञासा ने, पूर्ण भाव से भर
दिया है ।।
सदा समर्पित प्यार तुम्हारा, जब भी अहसास हुआ
है ।
तब - तब मीरा के प्रेम का, गलियों में उपहास
हुआ है ।।
प्रभात कह रहा है, कुछ कहानियां प्रेम पर लिखी
जाती है ।
ये तैरते हुए नाव का अंदाज है, न चाहते हुए भी ले
डूबा है ।।
“-प्रभात”
बहुत सुंदर रचना। आपने सही कहा कि प्रेम नाम का दरिया है ऐसा, जिसको चाहा है ले डूबा है।
ReplyDeleteजी शुक्रिया आपका यहाँ पधारने के लिए!
Deleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : शंका के जीवाणु
बहुत आभार!
Deleteकल 15/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
सादर आभार!
Deleteनई पोस्ट का इंतजार है। टाइम मिलते ही पोस्ट करिएगा।
ReplyDeleteजल्द ही कोशिश रहेगी ......आभार !
Deletesundar post...pyara likhe hain..
ReplyDeleteशुक्रिया आपका!
Deleteवाह...लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
धन्यवाद!
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