विनती
नवजीवन वाली खुशियाँ लेकर नया सुप्रभात हो ।
आज और कल की बातों को भूल नया विहान हो । ।1।
गरिमामय जिन्दगी की फिर नयी शुरुआत हो ।
नयी चांदनी और तारों के साथ का शाम हो । ।2।
फिर से चिड़ियों का बसेरा मेरे आँगन के साथ हो ।
फूलों से घिरा मकान और अच्छे लोगों की बात हो । ।3।
साथ खेलनें वालों का जीवन भर साथ हो ।
कटुता और कपटता वाली भाषा का सदा नाश हो । ।4।
झूमें गायें और संग में खाने का इंतजाम हो ।
आसमान में चिड़ियों की तरह उड़ने की बात हो । ।5।
धर्म और प्रेम के बंधन में बंधी न ये नाव हो ।
डूबते नाव को किनारे पर लाने का कुछ ज्ञान हो । ।6।
-“प्रभात”
बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-02-2015) को "फाग वेदना..." (चर्चा अंक-1903) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभारी हूँ!!
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया सर!
Deleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteन्यू पोस्ट हिमालय ने शीश झुकाया है !
न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !
आज 01/मार्च/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत आभारी हूँ!!
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण
वाह....लाजवाब...
ReplyDeleteशुक्रिया!
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