Monday, 23 February 2015

बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

बस्ती के एक कोने से आवाज लगाने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ
मेरे घर का एक कोना 











अब तक सींचे गए है जितने खेतों की क्यारियां
उतने ही फूल खिले हैं, संग खेतों की बालियाँ
चुनचुन कर अवधी भाषा से प्यार जगाने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

कल कल कर बहती हैं कुवानों, सरयू की नदियाँ
कहीं पे टर्र की आवाज है, तो कहीं पर मछलियाँ
मनमोहक सुरीली आवाजों का संग्रह ले आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

प्राचीन मंदिर है, तो यहीं पर मस्जिद की गलियाँ
शुक्ला, सैयद ने लिखा है हिंदी साहित्य की दुनिया
ऐसे ज्ञान के दीपक से, अन्धकार हटाने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

एक ओर मगहर कबीर का तो वहीं भदेश्वर मंदिरियाँ
गुरुद्वारा साहिब है यहाँ और गिरिजाघर की रीतियाँ   
प्रसिद्द फल-फूल शोधालय तक का दर्पण ले आया हूँ  
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

बस्ती-बस्ती  के हर कोने में दिखेंगी खूब गरीबियाँ
वहीं पर कहीं पे मिल जायेंगी गहनों की सुन्दर गुरियाँ
इस अमीरी गरीबी की खाई पे ध्यान दिलाने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

कच्ची-कच्ची सड़कों वाली है गावों की दुनियाँ
कटी आबादी वहां की हैं जहाँ झुंडों में हैं बस्तियाँ
इनके प्राचीन परम्पराओं का विस्तार कराने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

जड़ी-बूटियाँ लेकर बैठी है पेड़ों की सुन्दर टहनियाँ
 वहीं पे दिखेंगी बंदरों की किस्म किस्म की मदारियाँ
आप झूमेंगे प्रकृति की गोंद में विश्वास दिलाने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ

बस्ती मेरी पावन जन्मस्थली पर है मेरी अब नजरिया
सपने में है बस्ती को खुशहाल बनाने की सारी बतिया
वैशिष्ठी” के मंडल से जुड़े रहने की बात बताने आया हूँ
बस्ती निवासी वालों का पैगाम सुनाने आया हूँ


                                                                 -“प्रभात”










3 comments:

  1. सुन्दर रचना

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  2. सुन्दर गीत .. प्रेम भाईचारे और आशा का सन्देश लिए ...

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