Sunday 5 January 2020

क्योंकि मन अभी सच्चा है


खाईयाँ जो दिलों की हैं उसे पाटती हैं पहाड़ों की खाई
संवादी कांटें और तीखी बहसों के घाव हैं जो उन्हें धुलती हैं फिजा की हवाएं
बहुत तेज चलती हैं जब पानी में तरंगों के इर्द गिर्द रेशमी किरणें
भरतीं आहें और झटके से चलती साँसों के बीच सुनते ही
पंछियों की चुलबुलाहट
बहुत सुकून देती हैं, किसी के न होने पर भी बहुत

और फिर इस तरह लगता है सब अच्छा है
इसलिए क्योंकि मन अभी सच्चा है

#प्रभात

No comments:

Post a Comment

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!