Sunday, 5 January 2020

मैं कहूंगा कुछ नहीं बस तुम्हारी बात की तरह

तुम्हारी उम्र ढल रही होगी मेरी उम्र की तरह

हमारी यादें भी बिसर रही होंगी तरंगों की तरह
मगर रुके से हैं अभी कुछ जज्बात पुराने
वो गहरे हैं इतने खुलते हैं सभी के सामने

कौन है समर्पित भला जो तुम्हारी मांग भरेगा
मेरी किस्सों में कलंकित जो अभिमान करेगा
दिलों के ठहाकों में गर्मजोशी भले ही नाज हो तुम्हें
अभिनंदन है सलीके का बस जो प्यार करेगा

शायद तुम मुस्कुराओ हमेशा किसी आम की तरह
मगर वो खास होगा आये किसी मेहमान की तरह
उस क्षण मुस्करा दूंगा और कोई पूछेगा क्या हुआ
मैं कहूंगा कुछ नहीं बस तुम्हारी बात की तरह
-प्रभात

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