Friday, 29 December 2017

प्रभात की ओर से सुप्रभात...

प्रभात की ओर से सुप्रभात...


मधुर व कुछ बढ़िया सा राग सुनाने रागिनी आ पहुँची। शीतल और मुस्कुराती हवा के साथ आकर गले लगाकर मानो उसने मुझमें असीम सकारात्मक ऊर्जा का संचार करा दिया।
अभी उसे आये कुछ ही पल बीते थे कि जोर-जोर से गरजते हुए बादल के साथ बारिश होने लगी। आसमानी गगन का पता नहीं पर अपने घर में सभी मगन दिख रहे थे। कबूतरों का पता नहीं पर घोसलों में बैठे अंडों से निकले नवजात बाहर आने को बेताब हो रहे थे। थोड़ा सा धुंध छटा तो देखा कि आश्चर्यजनक रूप से खड़ा पहाड़ सफेद बर्फ की चादर लपेटे मुझे देख रहा था और रागिनी उसे देखकर शरमा गई और मेरे पीछे मुँह छिपाने लगी। मैंने हँसमुख रागिनी को जैसे ही पकड़ा वह खिलखिला उठी। तभी सामने ध्यान गया तो रोमांचक दृश्य सामने था। सफेद बर्फ से ढकी चोटी के बीच सूरज सामने आने की कोशिश कर रहा था। लालिमा लेकर वह रागिनी को छूने की कोशिश कर रहा था। इससे रागिनी में उमंग आने के साथ-साथ उसके हाव-भाव भी बदल गए। थोड़ी देर में रागिनी के राग के साथ ही कोयल की कूक ने समां बांध दिया। अब बारिश न रही और न ही वह लालिमा। इन सबके बावजूद रागिनी और मैं, पहाड़, सूरज और कोयल सभी हैं मगर सब अपनी दुनियां में मस्त अलग-अलग।


4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-12-2017) को "काँच से रिश्ते" (चर्चा अंक-2833) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    क्रिसमस हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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