Thursday 7 December 2017

मेरा भ्रम था

मेरा भ्रम था, मेरा सच बोलना
मेरा भ्रम था, कुछ अपना होना
मेरा भ्रम है अब खुद का होना
मेरा भ्रम है तुम्हारा होना
मेरा भ्रम है फिर भी है जीना
बिन भ्रम कुछ नहीं है पाना
बस चलते जाना, चलते जाना.....
ठीक वैसे जैसे कस्तूरी मृग
ठीक वैसे जैसे मृग तृष्णा
ठीक वैसे जैसे चाँद में जानवर
ठीक वैसे जैसे जल में रोशनी
ठीक वैसे जैसे परछाईं.....
देखते रहो धरती से आकाश को
देखते रहो समुद्र से बादल को
देखते रहो विश्वास से भगवान को
देखते रहो इंसान को गुमान से
धूल से दीया और दीया से बाती को
दीया से धूल को और धूल से माटी को.....
चाहो तो जिंदगी को मौत से निकालो
चाहो तो जिंदगी से मौत निकालो
विश्वास है तो भूत है, भूत है तो भविष्य है
ईश है, देव है, अरूप है तो रूप है
सत्य है तो झूठ है, भ्रम का प्रमाण है
प्रमाण है, क्या है? कुछ भी नहीं......
भ्रम है या ये भी नहीं?????????
-प्रभात


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