Thursday, 7 December 2017

मां-अम्मी

*मां-अम्मी*
मेरी माँ मेरी जिंदगी
मेरी माँ मेरी खुशी

मेरी माँ मेरा वो सब कुछ
जिसकी वजह से सांसे चल रही हैं
माँ तुम्हें अम्मी बुलाऊँ
या मेरी अम्मी तुम्हें केवल स्मरण कर लूं
मिलती है मन को तसल्ली
जीवन भर मांगा ही है मां
लेकिन इसके बाद भी
मेरी अम्मी बिन मांगे 
वो सब कुछ दे देती हो
जिसे कोई आज तक नहीं दे सका
माँ दुलार देना, गोदी का सहारा
हाथों से सहलाना, पुचकारना
मां तुमने आँचल से छिपाया, क्या नहीं बनाया
मेरे लिए कपड़े से लेकर कलम तक पकड़ाया 
माँ मन्नतें मांगी मेरे लिए, मां खुद बिन खाए
मुझे गरम रोटी ही खिलाई
अम्मी खुद के लिए जो नहीं कर सकी
अपने हिस्से की हर वो चीज मुझे दिलाई
मां तुमने जीवन दिया, पाला पोशा 
इसके बाद मां अब केवल मुझे तरसती हो
देखने को, इसलिए नहीं कि मां तुम अकेली हो 
इसलिए कि मैं कैसा हूँ
ये नहीं कहती मां कि मुझे जरूरत है तुम्हारी
ये नहीं कहती मां कि तुम मेरे लिए कुछ करो
मां मैंने हक जताया बिना हक के
मगर अम्मी तुमने कभी नहीं हक जताया 
कि तुम कोई आदेश दे सको
मां तुम निवेदन करती हो
इसलिए मां हो
लेकिन मां तुम एक पत्नी भी हो
मां तुम एक बहन भी हो
मां तुम एक बहू भी हो
मां तुम एक बेटी भी हो
मां तुम वो सब कुछ हो जिसकी वजह से मैं हूँ
अम्मी तुम्हारी चिंता की लकीरें बेशक मैं ना समझ पाऊँ
मगर मां तुम हमेशा ही मेरी चिंता की ही लकीर नहीं
मेरे भाग्य और मेरे भविष्य को भी पढ़ लेती हो
मां तुम मेरी अम्मी हो
मेरी माँ मेरी जिंदगी.....

-प्रभात


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