Thursday 20 April 2017

प्रेम के शब्द

हवा का अहसास तब तक नही कर पाता जब तक वह किसी वृक्ष की डाली को झुका नही देता। ऊंची गगनचुम्बी इमारतों को गिरा नही देता। और तो और किसी शरीर मे ठिठुरन नहीं पैदा कर देता। इसी तरह से कुछ प्रेम को भी अनुभव किया जा सकता है। प्रेम का अहसास तब ही हो पाता है जब दो दिल किसी वजह से टकरा जाते है। जुड़ते है तो वह प्यार की खूबसूरती या उसकी गंभीरता या इन दोनों की वजह से उत्पन्न एहसास द्वारा अनुभव नहीं ही मिल पाता।
-Google image
अक्सर प्रेम एक ऐसा रोमांचक विषय बनकर मेरे दिलों दिमाग मे सैर किया करता है जहां एक ऐसी नदी बहा करती है जिसमें केवल विष भरा होता है। लेकिन उस विष को पीने के बाद धीरे- धीरे मन आराधक हो जाता है। उपदेशक हो जाता है। मोहित हो जाता है। स्वप्नों की दुनियां में खो जाता है। अक्सर थोड़ी देर के लिए मन सबसे ज्यादा स्थिर इन्ही एहसासों की तरंगों के साथ होता है। जहां इस तरह विचरण करती मनोदशा में अन्य सब कुछ द्वितीयक रूप में दिखने लगता है ।
प्रेम का पाठ किताबों में न तो बचपन में पढ़ा था और न ही अब। मगर प्रेम का खूबसूरत पाठ पिछले कुछ सालों में मैंने भरपूर पढ़ लिया है। हो सकता है आप बचपन में ही पढ़े होंगे। लेकिन एक ऐसे समय के साथ यह पाठ पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। ये सच है इश्क हमने नही पढ़ा। यदि इश्क ने लोगों को बर्बाद किया है तो वहीं इश्क ने लोगों को साहित्य पढ़ाया भी है। हो सकता है इश्क ने कोई कहानी खत्म कर दी ही, किसी का जीवन ले लिया हो। लेकिन इश्क ने ही कुछ को इतिहास के पन्नों पर कैद भी किया है। अक्सर इश्क में लोगों को कहते सुना है, प्यार मत करना बहुत बेकार चीज है। शायद ऐसा कहने का आशय ही यही होता है कि इश्क का स्वाद ले ही लिया जाना चाहिए भले ही इश्क कोई करता नहीं यह स्वतः हो जाता है।
#प्रेम के शब्द (जारी है...)

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