वो लड़की- (2)
लड़कियों की जिंदगी!
कभी मायूसी तो कभी खामोशी में चीत्कार दिखती है
क्योंकि शायद वो लड़की बेपरवाह लगती है..
क्योंकि शायद वो खूबसूरती का ताज लगती है..
क्योंकि शायद वो अकेली संतान दिखती है
कोमल, नाजुक और बेचैन सी सांस दिखती है
वो लड़की है इसलिए हमेशा निराश दिखती है..
कभी मायूसी तो कभी खामोशी में चीत्कार दिखती है
क्योंकि शायद वो लड़की बेपरवाह लगती है..
क्योंकि शायद वो खूबसूरती का ताज लगती है..
क्योंकि शायद वो अकेली संतान दिखती है
कोमल, नाजुक और बेचैन सी सांस दिखती है
वो लड़की है इसलिए हमेशा निराश दिखती है..
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चलो इस सफर में खुल कर जी लिया जाए
अजनबी रास्तों को अपना बना लिया जाए
किसी के ख्यालों में घूमना ही है तो आगे
आज मिलजुलकर ही थोड़ा घूम लिया जाए !!
अजनबी रास्तों को अपना बना लिया जाए
किसी के ख्यालों में घूमना ही है तो आगे
आज मिलजुलकर ही थोड़ा घूम लिया जाए !!
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जुबाँ पर तुम हो, और तुमसे कुछ कह नहीं पाता
वफ़ा को मुसीबत इतनी, दर्द को छिपा नहीं पाता
लफ्ज़ ख़ाक न हो जाए तुम्हारे इन्तजार में जलकर
टूटते अल्फाज में सही तुम कुछ तो इजहार कर दो
वफ़ा को मुसीबत इतनी, दर्द को छिपा नहीं पाता
लफ्ज़ ख़ाक न हो जाए तुम्हारे इन्तजार में जलकर
टूटते अल्फाज में सही तुम कुछ तो इजहार कर दो
Happy holi ही सही। लो हमने तो कर दिया....
-प्रभात "कृष्ण"
-प्रभात "कृष्ण"
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कितने ख्याल बनते है इस आसमान में बादलों की तरह से
एक झोका है हवा का जो उड़ा ले जाता है
एक झोका है हवा का जो उड़ा ले जाता है
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तुम रहते तो
गूगल आभार |
ये दिन यूँ उदास न जाता
गलियां और उनकी सड़के सूनी न लगती
जहाँ जाते वहां इतनी गर्मी न लगती
पानी लोटा भर-भर के पीना न पड़ता
फिल्म देखने न जाना पड़ता
जल्दी सोना न पड़ता
बेवजह खुद को बहलाना न पड़ता
दर्द भरे नगमें न सुनने पड़ते
औऱ तो और नींद में भय न होता
निराशा न होती
चेहरे खिलखिला रहे होते
तुम हँसते तो
गलियां और उनकी सड़के सूनी न लगती
जहाँ जाते वहां इतनी गर्मी न लगती
पानी लोटा भर-भर के पीना न पड़ता
फिल्म देखने न जाना पड़ता
जल्दी सोना न पड़ता
बेवजह खुद को बहलाना न पड़ता
दर्द भरे नगमें न सुनने पड़ते
औऱ तो और नींद में भय न होता
निराशा न होती
चेहरे खिलखिला रहे होते
तुम हँसते तो
तुम रहते तो
तुम्हें कभी इतना न सोंचते
हर कदम पर तुम्हें ढूंढ़ लाते
जब कहते कि पास आओ
तो तुम आ जाते
तुम्हें मेरी तलाश न होती
एक अजीब सी तड़पन न होती
साँसे "तुम" पर गहरे न होते
मैं ढूंढ़ लाता इक मंज़िल अपनी
कोशिश करते तो जीवन गुलजार होता
रिश्तों में न तनाव होता
हम साथ-साथ चल रहे होते
तुम कहते तो
तुम्हें कभी इतना न सोंचते
हर कदम पर तुम्हें ढूंढ़ लाते
जब कहते कि पास आओ
तो तुम आ जाते
तुम्हें मेरी तलाश न होती
एक अजीब सी तड़पन न होती
साँसे "तुम" पर गहरे न होते
मैं ढूंढ़ लाता इक मंज़िल अपनी
कोशिश करते तो जीवन गुलजार होता
रिश्तों में न तनाव होता
हम साथ-साथ चल रहे होते
तुम कहते तो
तुम रहते तो
कुछ न कुछ सुनते तो
कुछ सुनाते तो
कभी हम काम आते
तो कभी तुम आ जाते
मित्रता में सब पर भारी होते
कभी काटों पर चलते
तो साथ चलते
खुशियों को हर बाँट लेते
सुई की नोक के बराबर प्यार क्या
पत्थर भी पिघल जाता
हवाओं का रुख बदला होता
तुम चाहते तो
कुछ न कुछ सुनते तो
कुछ सुनाते तो
कभी हम काम आते
तो कभी तुम आ जाते
मित्रता में सब पर भारी होते
कभी काटों पर चलते
तो साथ चलते
खुशियों को हर बाँट लेते
सुई की नोक के बराबर प्यार क्या
पत्थर भी पिघल जाता
हवाओं का रुख बदला होता
तुम चाहते तो
-प्रभात
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
Deleteकितनी खूबसूरती से शब्दों का ताना बना बुना है आपने
ReplyDeleteधन्यवाद आपके शब्द प्रेम के लिए
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