Thursday 20 April 2017

खो जाए सारी पहचान

-Google image 
चाहता हूँ जलना इस दोपहर की लू के साथ
इतना कि कोयले की तरह काला बन जाऊं
इतना कि पत्थरों की तरह खुरदुरा हो जाऊं
इतना कि जल जाए सारी तपती भावनाएं
संवेदनाएं और खो जाए सारी पहचान 
-प्रभात

No comments:

Post a Comment

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!