सच्चाई से रू-बरू तो सब ही होते है पर एक सच्चाई से शायद नहीं। यह
राज भी हो सकता है। वह है-
"कोई किसी को कुछ नहीं जानता तो कोई फर्क नहीं
पड़ता पर अगर कोई किसी से परिचित है या उसे जानता है। इन सबके बावजूद उसे किसी बात
को लेकर गलतफहमी हो गयी हो और वह नहीं समझता या नही समझना चाहता। इसलिए ही आगे
उसके कदम जानने वाले व्यक्ति के विपरीत दिशा में बढ़ने लग जाते है तो गलतफहमी दूर
करने के प्रयास में लगे प्रिय को कैसे मन में कचोटता है और क्या करे उसे समझ नहीं
आता।"
शायद इसलिए कहते है कि किसी को समझना एक द्विपक्षीय प्रक्रिया है
और यह दुनिया का सबसे मुश्किल काम है।
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