संभव होता तो 'प्यार' नहीं होता
गाड़ी के हॉर्न के बीच एहसास नहीं होता
बीते लम्हों के पुल पर गुजरती है
यादों की रेल शायद
ऐसा होता नहीं तो ....
तुम्हारा गुजरना और फिर मेरा थरथराना
या मेरे थरथराने के बाद फिर गुजरना
शायद नामुमकिन होता।
गाड़ी के हॉर्न के बीच एहसास नहीं होता
बीते लम्हों के पुल पर गुजरती है
यादों की रेल शायद
ऐसा होता नहीं तो ....
तुम्हारा गुजरना और फिर मेरा थरथराना
या मेरे थरथराने के बाद फिर गुजरना
शायद नामुमकिन होता।
-प्रभात
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