तुम रहते हो कितने पास मगर मेरे साथ नहीं होते
तुम गाते हो कितने गीत मगर मेरे गीत नहीं होते
तुम गाते हो कितने गीत मगर मेरे गीत नहीं होते
लिखते हो सब कुछ वैसा जैसे मेरा ही वर्णन हो
कहते हो मुझसे वही बात जिसमें अपनापन हो
कहते हो मुझसे वही बात जिसमें अपनापन हो
पर करते हो कितनी बात मगर मेरे बात नहीं होते
शायद होते है वही जज्बात मगर ख्याल नहीं होते
शायद होते है वही जज्बात मगर ख्याल नहीं होते
तुमने देखा था मुझे खूब कभी मेरी राहों में आकर
मैंने सोंचा था तुम्हें खूब तुम्हारी राहों पर जाकर
मैंने सोंचा था तुम्हें खूब तुम्हारी राहों पर जाकर
हम करते है तुमसे प्यार मगर मेरे साथ नहीं होते
आते हो अब भी पास मगर मुलाक़ात नहीं होते
आते हो अब भी पास मगर मुलाक़ात नहीं होते
तुम जानते हो सारी बात मगर कुछ नहीं कहते
होते और करते हो उदास मगर बात नहीं कहते
होते और करते हो उदास मगर बात नहीं कहते
-प्रभात
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-03-2016) को "लौट आओ नन्ही गौरेया" (चर्चा अंक - 2288) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार
Deleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं!
शुक्रिया
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