मेरा हौंसला बढ़ाया था उस वक्त जब
मैं हार गया था किसी प्रतियोगिता में
आज तक भूला नहीं वह चाॅकलेट
यही उपहार था तुम्हारे शब्दों में
मेरे लिये मेरी प्रतिभा का
परन्तु वह उपहार था
मेरे साहस और परिचय का
खुद स्वआकलन करने का खुद से
मैं भूला नही उस भीड़ को
जिस भीड़ में मैं अकेला था
बस तुम्हारे लिये
मुझे इस योग्य समझा
और सबसे अलग अपना पहचान बनाया
मेरे सामने और अपने सामने भी
ऐसा अनुभव मुझे तब हुआ
जब मैंने पहचाना और देखा
उस सुन्दर और प्यारी इक परी को
जो मेरे जैसे हार गयी थी
सबके सामने मानो उस भीड़ में
पहचाना मैंने उसकी प्रतिभा को
उस छोटे चाॅकलेट की कीमत को
उसमें समावेश था
एक जीवन का सार वह संसार
उन हौंसलौं का तार
जिसने दिया ज्ञान
जीवन के लिये खुशियों का उपहार
बिना कुछ छीनें
भर दिया मुझमें अपना अनवरत प्यार
- प्रभात
मैं हार गया था किसी प्रतियोगिता में
आज तक भूला नहीं वह चाॅकलेट
यही उपहार था तुम्हारे शब्दों में
मेरे लिये मेरी प्रतिभा का
परन्तु वह उपहार था
मेरे साहस और परिचय का
खुद स्वआकलन करने का खुद से
मैं भूला नही उस भीड़ को
जिस भीड़ में मैं अकेला था
बस तुम्हारे लिये
मुझे इस योग्य समझा
और सबसे अलग अपना पहचान बनाया
मेरे सामने और अपने सामने भी
ऐसा अनुभव मुझे तब हुआ
जब मैंने पहचाना और देखा
उस सुन्दर और प्यारी इक परी को
जो मेरे जैसे हार गयी थी
सबके सामने मानो उस भीड़ में
पहचाना मैंने उसकी प्रतिभा को
उस छोटे चाॅकलेट की कीमत को
उसमें समावेश था
एक जीवन का सार वह संसार
उन हौंसलौं का तार
जिसने दिया ज्ञान
जीवन के लिये खुशियों का उपहार
बिना कुछ छीनें
भर दिया मुझमें अपना अनवरत प्यार
- प्रभात
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17 - 03 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2284 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सादर आभार
Deleteअच्छी लाइने लिखी , प्रयास अच्छा है
ReplyDeleteसादर धन्यबाद
DeleteGood
ReplyDeletethanks
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