"वही प्यारी खुशबू वही प्यार का नशा है
कोई लता चढ़कर मेरे रूह तक बसा है
मैं बांस* हूँ, पुष्प आने तक का नशा
है
तुम्हारी राह देखने तक का नशा है......"
*अधिकतर बांस का फूल जीवन में एक बार आता है और फल आते ही
बॉस अपना जीवन समाप्त कर लेता है!
-प्रभात
सादर आभार!
ReplyDeleteनशा ही नशा है :)
ReplyDeleteनशा ही नशा है :)
ReplyDeleteयहाँ पहुँचने के लिए शुक्रिया सु-मन जी....
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही शानदार रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद!
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