Monday, 6 April 2015

तुम्हारी राह देखने तक का नशा है..




"वही प्यारी खुशबू वही प्यार का नशा है

कोई लता चढ़कर मेरे रूह तक बसा है

मैं बांस* हूँ, पुष्प आने तक का नशा है 

तुम्हारी राह देखने तक का नशा है......"



*अधिकतर बांस का फूल जीवन में एक बार आता है और फल आते ही बॉस अपना जीवन समाप्त कर लेता है!

-प्रभात 

7 comments:

  1. Replies
    1. यहाँ पहुँचने के लिए शुक्रिया सु-मन जी....

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद!

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  3. बहुत ही शानदार रचना।

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