उन बेगुनाहों के लिए मैं ईश्वर से उनकी आत्मा
को सुख और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ जो इन प्राकृतिक आपदाओं में
बेवजह मारे जा रहे है-
संसद का बुरा माहौल बनाने वाले आतंक आदी है
खुदा बख्श तो दो उनको जो मौत के काबिल न हो
मचाना त्रासदी वहां बस जहाँ गुनाहों में आबादी
है
सुलाया था जिसे माँ ने उसे तुम्हे सदा सुलाना
है
जहाँ रही बात घर की घर में उसे नहीं बचाना है
ऐसा अन्याय तुम न करो तुम ही मालिक जो हो
बचा लेना उन्हें प्रभु जिन्हें दहशत न मालूम
हो
अब रोक लो ये नजारा जहाँ केवल निरपराधी है
-प्रभात
सादर आभार!
ReplyDeleteबचा लेना उन्हें प्रभु जिन्हें दहशत न मालूम हो
ReplyDeleteअब रोक लो ये नजारा जहाँ केवल निरपराधी है.
बहुत सुन्दर .
दिल से निकले शब्द हैं ... बहुत संवेदनशील शब्द हैं ...
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteदर्द दिल का , बात मन की
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteसंवेदना जगाती रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : तेरे रूप अनेक
शुक्रिया!
Deleteबेहद संवेदनशील रचना।
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