आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-05-2015) को "उम्र के विभाजन और तुम्हारी कुंठित सोच" {चर्चा - 1983} पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक ---------------
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-05-2015) को "उम्र के विभाजन और तुम्हारी कुंठित सोच" {चर्चा - 1983} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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आभार!
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteउत्तर दो हे सारथि !
शुक्रिया!
Deleteसुंदर,प्रेरित करती हुई.
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteहौसलों के उड़ान बहुत लम्बी होती है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
शुक्रिया!
Deleteसुंदर प्रेरणात्मक
ReplyDeleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : वह रहस्यमयी फ़क़ीर
हौसले बुलंद होना चाहिये, फिर मंजिल तो अपने आप मिलती है।
ReplyDeleteविचार प्रकट करने के लिए शुक्रिया आपको!
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