Saturday, 24 January 2015

दादी जी को समर्पित!

        दादी जी को समर्पित

मैं स्वयं दादी जी के साथ 
बहुत कुछ अच्छा सिखाया आपने। 
न पढ़ कर भी हमें पढ़ाया आपने। 

डूबकर कितना लिखू आपके याद में।
कभी रुलाया तो कभी हंसाया आपने।
कहानियाँ बहुत सी सुनाया आपने।
संस्कृति को करीब से दिखाया आपने।
त्योहारों के अर्थ को बताया आपने।
पूछता हूँ अब बचपन की यादों को आपसे,
जवाब होता है स्मृति भुलाया आपने।

दादी जी
बचपन भर तमंचा* बना कर हंसाया आपने।
न जाने कितनी बातों को दुहराना आपने।
कुछ कहना और सुनना सिखाया आपने।
कुछ बताना और पूछना सिखाया आपने।
हौंसलों को हमारे कितना बढ़ाया आपने।
 कुछ और बताना और पूछना हो अब कैसे,
आप कहती है स्मृति भुलाया आपने।


*यहाँ तमंचा मूजा(पौधे) के सींक का बना हुआ छोटा सा खिलौना है, जिससे सूप(पछोरने अर्थात अनाज को फटकने में प्रयोग) की बुनाई भी की जाती है
                                                                                  
                                                                         - प्रभात  

16 comments:

  1. बड़े बुजुर्ग अपने व्यवहार से ही इतना कुछ समझा जाते हैं की उम्र भर काम आता है ...
    भाव पूर्ण रचना ...

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    1. हाँ जी ऐसा ही होता है!! शुक्रिया

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (26-01-2015) को "गणतन्त्र पर्व" (चर्चा-1870) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. तहे दिल से आपका आभारी हूँ!

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  3. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।

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    1. आपको भी.....शुक्रिया!

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  4. खूबसूरत यादों के साथ सुंदर प्रस्तुति

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    1. धन्यवाद यहाँ आने के लिए!

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  5. बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
    मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन

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    1. धन्यवाद बधाई के लिए!

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  6. बहुत कुछ अच्छा सिखाया आपने।
    न पढ़ कर भी हमें पढ़ाया आपने।

    .....खूबसूरत यादों के साथ
    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मेरी नजर से चला बिहारी ब्लॉगर बनने: )

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    1. जी हाँ मेरी एक छोटी सी कोशिश थी कि अपने सुन्दर यादों पर कुछ लिखूं ......शुक्रिया!

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  7. बेहद अर्थपूर्ण शब्‍दों से बिनी हुई रचना है आपकी। हम सबके सम्‍मुख प्रस्‍तुत करने के लिए धन्‍यवाद।

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    1. जी आपको भी यहाँ पधारने के लिए शुक्रिया......साभार!

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