आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती है। ऐसे महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को मेरा शत-शत नमन! मुझे
अफसोस है की नेताजी की मृत्यु आज तक रहस्यमय बनी हुयी है! क्षमा करना नेताजी मुझे! मैं इस लायक नहीं हूँ कि आज
आपके बारे में फैलायी अफवाहों के बारे में कुछ कह सकूँ!
मैं जन्मदिन के इस विशेष शुभअवसर पर “आज के नेता जी” को यह अनुभव कराना चाहता हूँ कि वह
भी एक नेताजी थे जिन्होंने कहा था कि “तुम मुझे खून दो मैं
तुम्हे आजादी दूंगा” और आज के नेता जी जिनके पास सब कुछ है अर्थात
स्वतन्त्रता होते हुए भी वोट लेने के बाद सब कुछ भूल जाते है। कुछ
करते हैं भी तो जमीनी हकीकत से ऊपर उठकर। लीजिये
प्रस्तुत है, मेरा एक छोटा सा सन्देश “आज के नेता जी” के
नाम:
गरीब (गरीब जो असहाय होता
है। उसकी पीड़ा को एक
कवि/लेखक केवल लिखकर आवाज उठा सकता है पर वास्तविक पीड़ा उसी से पूछिए। किसी ने सही ही कहा था कि
“भारत की आत्मा गाँव में निवास करती है” और गाँव में गरीब ज्यादातर गरीब जनता
निवास करती है। शहर में तो जगह ही नहीं मिलती) क्या कहे:-
गरीब की भूख का इंतजाम कर दीजिये।
पांच साल तक राजनीति में रह लीजिये।
कहता हूँ मैं नहीं केवल, मेरा
परिवार कह रहा है।
दस वोट का मुझसे इंतजाम कर लीजिये।
हाल है ऐसा जहाँ गरीबी की रेखा भी
नहीं जाती।
राशन है ऐसा जो गाय के मुंह में भी
नहीं जाती।
श्रम की ताकत नहीं जो अब परिवार का
पेट भरे।
मेरे कुछ बच्चों की ही रोटी का
जुगाड़ करे।
एक है सोता जब दूसरा है रोता।
ऐसे भूखे पेट के लिए कुछ दान कीजिये।
पांच साल तक राजनीति में रह लीजिये।
नेता जी क्या कहते है कैसे अलग है नेता जी से गरीब की अपेक्षाएं:-
इस देश में गरीबी को देख कर हैरान
हो जाता हूँ।
भाईओं और बहनों! इससे मैं परेशान हो
जाता हूँ।
इस बार वोट दीजिए हर घर में खुशहाली
ला दूंगा।
२०२२ तक झुग्गी की जगह नया आवास दे
दूंगा।
स्वच्छता का नारा देकर गंगा को
स्वच्छ कर दूंगा।
और बिजनेसमेन के बिजनेस का जुगाड़ कर
दूंगा।
बिजली जहाँ है वह २४ घंटे बिजली
आयेगी।
जहाँ नहीं वहा नयी लालटेन जल जायेगी।
और फिर गरीब की आवाज क्या होती
है:-
गरीब की भूख को नेता जी आप क्या
जाने।
आज लगी है भूख तो २०२० तक की क्या
माने।
रोटी का जुगाड़ नहीं तो भीख क्या
मांगे।
मुझे स्वच्छ करने की राजनीति को आप
क्या जाने।
गरीब के नाम का राजनीति में इस्तेमाल
बंद करो।
इस पर सरेआम हो रहे अत्याचार को बंद
करो।
स्वच्छता करना है पहले तो मूत्रालय
का इंतजाम तो करो।
पहले अपने आस पास की झुग्गियों का
नाम करो।
राजनीति में दान की जगह कूड़ेदान पर
कार्य करो।
जनता से निकले हो जनता के लिए काम
करो।
बिजनेसमेन और हसीनों को अपने घर
वापसी करो।
कुछ अच्छा करना है तो करो ये है
जनता की पुकार।
नहीं तो है गद्दी पर किसी और का
इंतजार।
२०२२ तो दूर पहले ही लोकतंत्र जग
जायेगा।
मान-सम्मान लेकर मानवता का पंछी ऊपर
उड़ जायेगा।
-प्रभात
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (24-01-2015) को "लगता है बसन्त आया है" (चर्चा-1868) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका सह्रदय आभारी हूँ!
Deleteबहुत सुन्दर .जनता से किये गए वायदे सिर्फ चुनावी नारों के शोर में न दब जाएं.
ReplyDeleteनई पोस्ट : तुमने फ़िराक को देखा था
बहुत उम्मीदें है जनता को .......देखिये!
DeleteWell Done Prabhat Ji
ReplyDeleteThanks a lot!
DeleteBahut sarthak aur avashyak post...hardik badhai....
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteअच्छी कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteनेता जी का जीवन किसी रहस्य से कम नहीं था. कहा जाता है कि उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ नहीं था, बल्कि कराया गया था. कहीं कहीं तो यह भी समझा जाता है कि उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ ही नहीं. उन्हें किसी तरीके से गायब कर दिया गया, ताकि वे उन लोगों का श्रेय न ले जाएं, जो आने वाले समय में भारत को संभालेंगे. बोस से कांग्रेस की लीडरशिप महात्मा गांधी ने छीनी थी. यदि बोस उसकी लीडरशिप करते रहते तो 1947 से पहले भारत आज़ाद होता और खंडों में न होकर अखंडित होता.
ReplyDeleteदेश के इस महान सपूत को हमारा नमन.
ReplyDeleteआपने अपने विचारों से मुझे अवगत कराया .....आपका आभार!
DeleteHeart touching and wonderful presentation of the reality.Congrats!
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