Tuesday 4 November 2014

.............देखे हैं ।

अपनी आँखों ने सपने वही देखे हैं
जो दर्द ने मेरे दिल से कभी बयाँ किये हैं

कई हजारों को अपने पास से गुजरते देखे हैं
संभल कर दौड़ जाने वालों को भी देखे हैं

कभी मुस्कराहट तो कभी गम देखे हैं
कुछ चेहरों पर इतर खामोशी के झलक देखे हैं

नाइंसाफी की मार पड़ते कुछ पर देखे हैं
फिर भी हंसकर फंदे से लिपट जाते भी देखे हैं

भीड़ में साथ चलने वालों को देखे हैं
वहीं अकेले चलकर भटकने वालों को कई देखे हैं

हमारी तालीम पर हंस कर गुजरनें वालों को देखे हैं
सीखते परिंदों से ही भ्रमण करने वालों को भी देखे हैं     
                                                          -“प्रभात”

8 comments:

  1. कल 06/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...साभार!

      Delete
  2. Bahut sunder abhivyakti ....

    ReplyDelete
  3. खूब, उम्दा पंक्तियाँ हैं

    ReplyDelete
  4. बहुत-बहुत शुक्रिया!

    ReplyDelete
  5. बेहद उम्दा सोच के साथ लिखी गई पंक्तियाँ हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुन्दर टिप्पणी के लिए आभार!

      Delete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!