अपनी आँखों ने सपने वही देखे हैं ।
जो दर्द ने मेरे दिल से कभी बयाँ किये हैं ।।
कई हजारों को अपने पास से गुजरते देखे हैं ।
संभल कर दौड़ जाने वालों को भी देखे हैं ।।
कभी मुस्कराहट तो कभी गम देखे हैं ।
कुछ चेहरों पर इतर खामोशी के झलक देखे हैं ।।
नाइंसाफी की मार पड़ते कुछ पर देखे हैं ।
फिर भी हंसकर फंदे से लिपट जाते भी देखे हैं ।।
भीड़ में साथ चलने वालों को देखे हैं ।
वहीं अकेले चलकर भटकने वालों को कई देखे हैं ।।
हमारी तालीम पर हंस कर गुजरनें वालों को देखे
हैं ।
सीखते परिंदों से ही भ्रमण करने वालों को भी देखे हैं ।।
-“प्रभात”
कल 06/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...साभार!
DeleteBahut sunder abhivyakti ....
ReplyDeleteजी शुक्रिया!
Deleteखूब, उम्दा पंक्तियाँ हैं
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबेहद उम्दा सोच के साथ लिखी गई पंक्तियाँ हैं
ReplyDeleteसुन्दर टिप्पणी के लिए आभार!
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