प्रेम कहानी लिख लिख कर दिन-रात सोचता आया हूँ
बस प्रियतमा तेरी चाहत में ये गजल सुनाने आया हूँ ।
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मुसकरा-मुसकरा कर जब कभी तुम आया करो
मेरी साँसों को अपनी साँसों से मिला जाया
करो ।
सुबह-सुबह आईनें में मेरी तस्वीर देखना जब
कभी
कुछ कह रही होंगी कहानियाँ उन पर हँस जाया
करो ।
प्यार के सैलाब में न जाने कौन-कौन मिलेगा
अभी
अभी मैं ही हूँ तो मुझसे नजरें न हटाया
करो ।
गुजरते लम्हों में अगर मेरा ख्याल आये कभी
मेरे घर के आँगन में कभी आ जाया करो ।
सर्द-गर्म हवाओं में अगर न आना हो कभी
रात ख्वाबों में ही दिख जाया करो ।
-"प्रभात"
Umda Panktiyan
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteशुक्रिया!
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