Thursday 30 October 2014

मेरी प्रेम कहानी से ............

निस्तीर्ण हुआ तो क्या हुआ स्नेहिल स्पंदन जब है कायम।
गूंज रहा प्रतिध्वनि लेकर वह, रू-बरू रहा अब तक रूपायन।।

                                                                                                -Google image

देह दैविक मानो हुआ जो उनका, पर दैन्य से स्मरण हो रहा।
साँसों के सारंग स्वर से उद्वेलित है सत्यम शिवम् सुन्दरम।।

                                         
                                                -“प्रभात”

16 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद .......आप सभी का ऐसे ही सहयोग मिलता रहे!

      Delete
  2. बेहद प्रभावशाली पंक्तियाँ गहन अभिव्यक्ति...... वाह क्या बात है.

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया ......बस कुछ ऐसे ही अल्फाज की बात है सब!

      Delete
  3. Replies
    1. आभार ...........सधन्यवाद!

      Delete
  4. Lajawaab abhivyakti.... Gahan va bhaawpradhan.... Badhayi !!

    ReplyDelete
  5. Bhut khoob Parbhat bro
    Atisundram!!!!

    ReplyDelete
  6. Bahut bhadiya..dil ki gehrai se..waah

    ReplyDelete

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!