Tuesday 26 August 2014

न जाने क्यूँ कुछ लोग ही पूछते है मेरा हाल चाल...

न जाने क्यूँ कुछ लोग ही पूछते है मेरा हाल चाल


मेरे प्यारे-प्यारे दोस्तों,
       मेरा घर बहुत दूर है. मुझे घर पहुंचना है. रेलगाड़ी चल दी है आप सभी मेरा बहुत ख्याल रखते है इसलिए मैंने आप सबको पहले ही बता दिया है कि घर पहुँच के आप को जरूर बता दूंगा कि सकुशल पहुँच गया हूँ. मेरे पास बैलेंस नहीं है और रोमिंग में हूँ परन्तु आप सभी मुझे ट्रेन चलने के कुछ देर बाद ही कॉल कर रहे है और ये जानना चाहते है कि घर पहुंचा या नहीं. परिस्थिति को समझने की कोशिश कीजिये और अगर घर नहीं भी पहुंचूंगा तो इतना तो जरुर है कहीं न कहीं पहुंचूंगा ही आखिर ट्रेन जो चल दी है और आखिर मनुष्य तो हैं  ही.
      यह काल्पनिक कहानी है या कुछ विशेष बात जो मैं या तो समझ सकता हूँ या कुछ प्यारे दोस्त ही. दोस्तों समय का कुछ ख्याल रखे....लीजिये आप लोगों को ही ये पंक्तिया समर्पित करता हूँ..


"न जाने क्यूँ कुछ लोग ही पूछते है मेरा हाल चाल
कुछ खुशी में और कुछ गम में,
मेरे खुशी में कुछ गम मनाते है
और मेरे गम में खुशी मनाते है
अगर पूछे भी सही तो इनकी जरुरत ही क्या है
स्वागत है हर बार उनका जो केवल
मेरी खुशी के लिए हर वो काम करते है
जिन्हें देखकर भूल जाता हूँ सारा गम और खुशी
और न जाने क्यूँ कुछ लोग ही समझते है मेरी बात
इसका जवाब आप ही दें तो अच्छा है.................. "
                                                                                                                                                                                 -"प्रभात"

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