रिश्तों की बुनियाद पुरानी हो न हो
यादों की बुनियाद डालनी इनसे सीखो
महफिल में अपना कोई हो न हो
बातों से अपना बनाना इनसे सीखो
फूलों का गुलदस्ता हाथों में हो न हो
प्यार जताना इनसे सीखो
######सर कहाँ है? आ जाइए डेरे पे हैं। प्रसिद्ध डेरा ५३ (एस) ग्वायर हाल, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली का हुआ करता था.
सर अभी नहीं आ पाएंगे थोड़ी समस्या है.
कहिये क्या हुआ.. यही साथे में लंच कर लीजियेगा
अरे नहीं जाम लग गया है. बस में हूँ टाईम लग जाएगा
सो बात तो है! कोई बात नहीं रखवा देता हूँ
नहीं सर। … क्या नहीं कुछ दिन ही तो बचे हैं फिर तो हम परदेशी हो जायेंगे
अच्छा सर आते हैं शाम तक
आईये-आईये वेलकम!……………………।
इन यादों की पुरानी डायरी भले ही मैं फिर से पढ़ लूँ पर यहाँ मिलने वाला हर कोई यह पढ़ कर शायद समझ जाए कि मैं किस जनाब की बात कर रहा हूँ..... श्री राम एकवाल सिंह (असोसिएट प्रोफेसर) की जो हमारे देश से मधुर सम्बन्ध रखने वाले नेपाल देश से ताल्लुक रखते हैं......
आईये हम कुछ फोटो पर भी नजर डाल लेते हैं.......
यादों की बुनियाद डालनी इनसे सीखो
महफिल में अपना कोई हो न हो
बातों से अपना बनाना इनसे सीखो
फूलों का गुलदस्ता हाथों में हो न हो
प्यार जताना इनसे सीखो
######सर कहाँ है? आ जाइए डेरे पे हैं। प्रसिद्ध डेरा ५३ (एस) ग्वायर हाल, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली का हुआ करता था.
सर अभी नहीं आ पाएंगे थोड़ी समस्या है.
कहिये क्या हुआ.. यही साथे में लंच कर लीजियेगा
अरे नहीं जाम लग गया है. बस में हूँ टाईम लग जाएगा
सो बात तो है! कोई बात नहीं रखवा देता हूँ
नहीं सर। … क्या नहीं कुछ दिन ही तो बचे हैं फिर तो हम परदेशी हो जायेंगे
अच्छा सर आते हैं शाम तक
आईये-आईये वेलकम!……………………।
इन यादों की पुरानी डायरी भले ही मैं फिर से पढ़ लूँ पर यहाँ मिलने वाला हर कोई यह पढ़ कर शायद समझ जाए कि मैं किस जनाब की बात कर रहा हूँ..... श्री राम एकवाल सिंह (असोसिएट प्रोफेसर) की जो हमारे देश से मधुर सम्बन्ध रखने वाले नेपाल देश से ताल्लुक रखते हैं......
आईये हम कुछ फोटो पर भी नजर डाल लेते हैं.......
बढ़िया लेखन , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
विनम्र आभार!
Deleteबढ़िया लेखन
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ,
ReplyDeleteबहुत रोचक प्रस्तुति...
ReplyDeleteविनम्र आभार!
Deleteबहुत सुन्दर आत्मीय लेखन ...
ReplyDeleteयादों का सुन्दर गुलदस्ता
विनम्र आभार!
ReplyDeleteसुन्दर और आत्मीयत भरा लेखन ...
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो .शब्दों की मुस्कुराहट पर आकर नई पोस्ट जरूर पढ़े....धन्यवाद :)
विनम्र आभार!
Deleteभावनाओं से भरा पात्र ... रिश्ते बने रहना चाहियें ...
ReplyDeleteविनम्र आभार!
Deleteबहुत बढ़िया लेख
ReplyDeleteविनम्र आभार!
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबेहद उम्दा प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें....
शुक्रिया यहाँ पधारने के लिए...नयी पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर और सुनकर जब आपके ही स्वर और भावनाओं का मिला जुला स्वरुप सामने हो....आभार!
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