Friday, 2 June 2017

घर ही तो आओगे

घूम लो गाँव, खेत खलिहान....
लौट कर घर ही तो आओगे
शहर के चकाचौध में रह लो....
जुगनूं से मिलने तो आओगे
पंखे, एसी का आराम ले लो....
एक दिन सड़क पर आओगे
पेड़ो की शाखाएं तोड़ डालो....
चिता पर लकड़ी न पाओगे
अवरोध रास्तों पर तो होंगे ही....
रोज चलोगे तो सुकून पाओगे
पोखरे को पाटके नींव रख ली....
अब गारे का पानी न पाओगे
जिंदगी में जो भी कुछ मिला....
संतोष करो तो खुशी पाओगे
घूम लो गाँव, खेत खलिहान....
लौट कर घर ही तो आओगे
-प्रभात

तस्वीर: गूगल आभार

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