Friday, 3 July 2015

पता है प्रेम में ....

-Google

पता है प्रेम में डूबा हूँ कैसे
जब जानोगी तो आँखे भीग जायेंगे  
बारिश की पहली आगाज में
बादल भी हवा में बहना भूल जायेंगे
कहते है प्रिये समंदर की लहरे दूर तक चली आती हैं
हमें मालूम बस चले कभी कोई बाधा
हम लहरों से भी तुम्हे खींच ले आयेंगे

-Google
तबस्सुम प्रीत में लिपटा है ऐसे
चाहकर भी कभी न भूल पायेंगे
शबनम को हवा जब चाहे गिरा दे
मगर प्रभात प्रेम में पंखुड़ियों से लिपटे पायेंगे
कहो तो प्रिये दिल से कल तुम मिलने आ रही ही
जुनून होगा मिलने का इस कदर 
किसी और में भी तुम्हारी सूरत नजर आयेंगे


-प्रभात  

9 comments:

  1. प्रभात भाई!
    प्रेम को सही जिया है...अद्भूत।

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  2. प्रेम में हर किसी की रूरत एक सूरत ही नज़र आती है ...

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  3. बहुत उम्दा कविता
    वाह

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    Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया

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