Wednesday 22 October 2014

एक दीप जले पर मन से, खुशियों के दिए जलाना है।

 सूरज की राहों में अचरज आज अन्धकार ने डाला है, 
तभी शत्रु के आने से पहले मानो पहले दूर हो चला है


मेरे घर के आँगन में खिलते फूलों में सायंकाल 
भौरें भी न जाने क्यों घर को वापस जाने लगे 
मीठे-मीठे रस के गुच्छे लेकर घर में लौटे जब, 
घर के आँगन में खूशबू ने ऐसा अहसास कराया हैं, 
मानों राम के वन से लौट कर आने का संकेत हो चला है  

प्यारी-प्यारी किस्सों से आज का प्यारा दिन बीता है, 
तभी दादी-दादा के चरणों में प्यार का बंधन न टूटा है 

सुन्दर मुस्कान भरी शाम हवा लेकर आया 
दीपों के ढेर में बिठाकर कुछ याद कराया; 
कहते हैं खलिहान हमारी समृद्धि को बताते हैं 
और तभी खेत हमारे दीपों से सजने की याद दिलाते है,
सब धर्मों ने अमावस्या की रात्रि को सुन्दर ही माना है

दिया और उनकी और भी छोटी लौ ने कैसा प्रकाश कराया है,
कि आज सूरज की घमंड को व्यर्थ साबित कर दिखलाया है

आओ थाली में दीपों को एक दिशा में सजाये 
तुम ले जाना पूरब को, मैं पश्चिम की ओर चली 
और कहीं पे भूल मत जाना रोशनी न दिखलाने को
खिड़की पर दो चार दिए और "घूर" पर ऐसा दीपक जलाना 
रात-रात भर नींद से उठे जब, तब भी ये बुझ न पाए 

ऐसा ही कुछ करना प्यारों तुम्हे, दिए ऐसी अब जलाना है, 
ऐसी काली रात में मेरे, तुम्हे दीपक बन कर जगमगाना है

कंद की सब्जी खाने को कितना दिन इन्तजार किया 
कुछ मीठा हो जाये अब, फिर मिल कर आँगन की और चले 
देखोगे तो घंटी तले दीपक, ऐसे काजल बना रहे होंगे 
जो हम सबके आँखों के सपने को बतला रहे होंगे; 
घूम-घूम कर दिन भर आज पढ़ कर याद किया था 

सच में दीवाली मुझको अब कितना कुछ कहने को कहता है, 
क्योंकि ये सब पुरानी यादों के गुलदस्तों से होकर आता है 

अच्छा यह तो देखो कंडील कैसा लहरा रहा दूर तलक
खुश हैं लोग उनके लहराने पर मानों चीन ने खरीद लिया उन्हें 
चंद ख़ुशी की खातिर कैसे बम से बच्चे शिकार हुए
क्या यही चंद खुशी वो मिट्टी के दीप सिखा रहे, 
सीखो और बदलो अपने आप को, घी के दिए जलाकर

हमें पुरखों की सुन्दर सोच को कहीं मंच पर लाना है, 
एक दीप जले पर मन से, खुशियों के दिए जलाना है
                         
                              -"प्रभात"  
     









   

17 comments:

  1. आपको दीपावली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ !

    कल 23/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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    1. आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत आभार!

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  2. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
    आपको दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. अनुपम प्रस्तुति......आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......
    नयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं

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  4. बहुत सुन्दर.... हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. Bahut sunder manbhawan prastuti Prabhat ji...Aapko deewali ki anekanek mangalkamnaayein ...aapki diwali shubh ho

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    1. शुक्रिया लेखिका जी!

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  6. [आप सब को पावन दिवाली की शुभकामनाएं...]
    दुख अनेक हों फिर भी देखो,
    दिवाली सभी मनाते हैं...
    प्रथम गणेश की वंदना करके,
    मां लक्ष्मी को बुलाते हैं...
    [पर्व ये दिवाली का सभी के जीवन में असंख्य खुशियां लाए]

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  7. बहुत सुंदर.
    दीपोत्सव की मंगलकामनाएं !

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव पूर्ण है रचना ...

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया!

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  9. हमें पुरखों की सुन्दर सोच को कहीं मंच पर लाना है,
    एक दीप जले पर मन से, खुशियों के दिए जलाना है।

    बहुत सुन्दर एहसास....
    सस्नेह

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    1. धन्यवाद ............साभार!

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