वर्ष २०१२ के वसंत ऋतु में
लिखी हुयी ये लाइनें यहाँ आपसे साझा कर रहा हूँ. कहते हैं हर एक चीज का समय होता है
जो होता है वह बहुत सही और अपने समय पर ही होता है. किसी नें सही ही तो कहा है:-
"मंजिलें उसी को मिलती हैं, जिसके सपनों में
जान होती है
परिंदों से कुछ नहीं होता मेरे यार, हौसलों में उड़ान
होती है!!"
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मुझको
तुम नहीं समझ पाये, तो क्या है!
मेरे
इरादों को न समझ पाये, तो क्या है!
वक्त है
ये जो कुछ कहने की जरुरत नहीं,
मंजिल
मिलने की चाहत में, और भटकते नहीं
खुश
होकर जी रहें कुछ पाने की जरुरत नहीं,
ऐसा
मैंने सोचा है, तुम नहीं समझ पाये तो क्या है!
तुम्हे
सोच कर, मेरे ख्वाब रुकते नहीं,
तुम्हारे रिश्ते को पाने की, ये आश मिटते नहीं
प्रेम
हो गया है इस मन में इस कदर,
तम्हारा
प्यार अगर मिल न पाये, तो क्या है!
मुझे
कहने को अब कुछ रहते नहीं,
तुम
बताने की ख्वाहिश कुछ रखते नहीं,
ये
बताना न बताना किस काम का,
अगर
जिंदगी में तुम्हारे कोई और है, तो क्या है!
फिक्र
रहते हुए भी, तुमसे मिलता नहीं,
तुम्हे
अच्छा लगते हुए भी मैं कुछ लगता नहीं,
ये
बातें करने का शौक करूँ किस कदर,
कोई और
हो, तुम न मिल पाये तो क्या है!
-"प्रभात"
बढ़िया खूबसूरत रचना , प्रभात भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आशीष जी!
Deleteधन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
ReplyDeleteधन्यवाद पधारने के लिए....... जुड़े रहिये, आगे भी आपका सहयोग अपेक्षित है.
Deleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteरचनाओं का प्रवाह यूँ ही जारी रहे.
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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