मुझे
राहों में खिला समझ लो
तुम
राही नजरअंदाज कर लो
या
चाहो तो मेरा गम समझ लो
मेरा
जीवन तुमसे अच्छा है
समझने
वाले खुद से समझ लो
पैरों
से नहीं पर से समझ लो
तुमसे
अच्छा मेरा जीवन है
थोड़ा
अपने को तुम खुश रख लो
बस
आगे बढ़ने की बात हो जब
निश्चल
सोच से तुम निकल लो
मुझे
काटों में चुभा समझ लो....
-प्रभात
बहुत सुन्दर और सार्थक।
ReplyDelete--
आपका ब्लॉग फालो कर लिया है।
अब फीड मेरे पास आतीं रहेंगी ।
तहे दिल से शुक्रिया !
Deleteसादर आभार।
ReplyDeleteशुक्रिया पढ़ने के लिए.....
ReplyDeleteमन के सुन्दर निश्छल भाव.....
ReplyDeleteसादर आभार!
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
बहुत धन्यवाद!
Deleteजी शुक्रिया!
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