Tuesday, 10 October 2017

कह नहीं सकता

कुछ कहना था आज तुमसे, लेकिन आज कह नहीं सकता।
हां थोड़ा बहुत मज़ाक और कुछ अपना ज्ञान बांट नहीं सकता।
आज मैं तुमसे कुछ कह नहीं सकता।
कुछ बचे हुए सवाल नहीं कर सकता और अब जवाब
ढूंढ नहीं सकता।
जो वादे थे वो चाहकर पूरा कर नहीं सकता।
हां कुछ उलझनें तुम्हारी सुन सकता हूं मगर उन्हें मिटा नहीं सकता।
आज मैं तुमसे कुछ बाँट नहीं सकता।

#मजबूरियाँ# जीवन की सच्चाई#



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