Monday, 23 June 2014

पीनें वाले दोस्त!

                          -Google image
मैं अब खुश हूँ दुःख को दबा आया हूँ
क्योंकि आज मैं दो पैग लगा आया हूँ

साइकिल की रफ्तार आज कारों को फेल कर दी है
मेरे बीड़ी ने अब पर्यावरण को प्रफुल्लित कर दी है
बगीचों में अब फूलों को जो हंसी आयी है
वो सब इन्ही की बदौलत काम आयी है

रोटी खाने का शौक नहीं चिकन ने क्या खूब जमाया है
दुनिया में मेरे सिवा कोई और नहीं ये आज ही पता चल पाया है
कोई गम अगर था भी तो इन खुशियों ने भुला दिया 
मेरे जिंदगी के सारे सपनों को क्या राह नयी दिखला दिया  

तुम होश में क्यों नहीं; मेरे सामने लुढक नहीं रहे
थोड़ा पी लो शौक से कुछ और कह नहीं रहे
आज पीने वालों का दिन हैं अब बेवकूफी मत करो
मेरे दोस्त होने की मेरी अब बेइज्जती मत करो

मैं ही मैं किसी और की बात क्यों करो
मेरी सुनो मेरे से सच किसी झूठ की बात क्यों करो
इतिहास गवाह है मुझे नया जीवन दिलाने की
बस एक बार दिखाया था मैखाने की राह
तब से जरुरत नहीं पड़ी किसी और के दिखाने की   

मैं अब बताता हूँ तुम्हे कॉलेज की बात
था कभी अकेला जब एक युवती के साथ
क्या लड़की थी मैंने तब ही बताया था
आज तक नहीं समझ आया मैं क्यों नहीं उसे पाया था  

जिंदगी की राहों में बस इतना ही सफर था
अब तुम बताओ क्या ये सच नहीं था
क्यों लगाते नहीं फौरन फोन उसको
आज कुछ कहना जरुरी है बोल दो उसको
दोस्त पीने लगा है अब उसे किसी लड़की की जरुरत नहीं है

अरे दो और पैग बनाओ एक उसके भी नाम
घर वालों के नाम नहीं घर वाली के नाम
घट जायेगा सारा बोझ और पीने के साथ
मतलब के सारे यार बस ये ही तो है साथ

अब मत समझना दोस्त कि मैं ही केवल पीता हूँ
तुम्हे अमेरिका से लेकर अपनी दूकान तक घुमाता है
पीना कोई बुरी बात नहीं पर
आज पी लेता हूँ तो कभी पीता नही
हाँ शौक से कोई कह दे तो जल्दी मना करता नही 
                                    
                                     -"प्रभात"      

  

7 comments:

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