Saturday, 11 January 2014

तो रंज है मेरा उनसे रात ख्वाबों में खो जाने का.....

तसव्वुर(कल्पना) है मेरा तुम्हें पाने का
न पाकर भी हर कदम मुस्कुराने का
ये चाहत है उनका अगर बिछुड़ जाने का  
तो मुझे हसरत नहीं उनसे न मिल पाने का

छुपा नहीं है किसी से अक्स उनका
मेरी क्या खता उन्हें भुला न पाने का
मकबूल उन्हें अगर न हो मेरे वास्ता का
तो रंज है मेरा उनसे रात ख्वाबों में खो जाने का.....

                                               "प्रभात"

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