Monday, 4 March 2019

न हों शब्द तो क्या लिखोगे किसी के लिए

न हों शब्द तो क्या लिखोगे किसी के लिए
जीने-मरने और उनकी शहादत के लिए
तस्वीरः गूगल साभार

मां का आँचल सूना कहूँ या उनकी हिम्मत का दूं दाद
हर अखबार लिख रहा है दर्द पर कहाँ बुझ रहा है चिराग

सड़कों पर निकला है आज बड़ा हुजूम जवानों का पर
हौसला उन नन्हों में है जो अपने पिता को सलाम कर रहे थे

हम तड़पेंगे कुछ दिन और फिर भुला देंगे इस शहादत को शायद,
फिर किसी दिन एक बड़ी खबर का अंजाम भुगतेंगे

करना होगा सफाया अपने घर के गद्दारों को पहले
तभी आतंकी श्रद्धांजलि नाम का मतलब समझेंगे

-प्रभात

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 18 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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