Wednesday 10 October 2018

ये सफर है, यूँ ही चलता जा

ये सफर है, यूँ ही चलता जा
खुद से उम्मीद कर सिर्फ और कुछ नया करता जा
उदासियों का भी दौर आता है, नफरतों का साज भी सजता है
हमसफर को सोचने दे कुछ, तू खुद से प्रेम करता जा


हमें संभालना आ गया है खुद को
अब सभी को संभाल लेंगे हर कदम।

जिंदगी भर गीत गाऊंगा तुम्हारे इश्क़ में
ये खुदा चाहा तो मिलते रहेंगे हरदम।

दुआओं में महफूज हो, मेरी न होके भी
कुछ और नहीं जो न कह सको हमदम।

-प्रभात

1 comment:

  1. हमें संभालना आ गया है खुद को
    अब सभी को संभाल लेंगे हर कदम।

    बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने

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