Saturday 22 September 2018

स्कूल है एक


स्कूल है एक
जिसके साइनबोर्ड पर जंग है

गेट की जगह टूटी दीवारें
और रास्तों के बगल में रुका पानी
कमरे कच्चे खपरैल के और
दीवारों में एक-एक ईट की खाली जगह
जिससे होकर हवा जाती है अंदर
बाहर से चूने की पुताई
गांव का इंटर कॉलेज है।
लड़कियां साइकिल से आती हैं
टाटपट्टी पर पढ़ाई 
और इमला के लिए पीपल के पेड़,
अशोक के पेड़ के नीचे की जगह
उस पर बैठे पपीहे और 
उनके तराने
बगल में बंदरों की छीना झपटी
पेड़ों पर झूलना
पिल्लों का क्लास में घूमना
और उनका अंगड़ाई लेना
बगल से गाय और भैंस का झुंड
बछड़े का बोलना और 
घास को चरना
याद है वो हैंडपम्प
जिससे भींगते थे और भिगाते थे तुम्हें
पुल बनाकर पानी क्यारियों में बहाते थे।
आईस पाइस का खेल और फिर
कोड़ा जमाल शाही 
कबड्डी में पकड़ना 
और फिर लोहे की घण्टी पर हथौड़े मारना
आज मैंने यूँ ही देख लिया इसी तरह का स्कूल
लेकिन अब बच्चे नहीं हैं, सूना पड़ा है
पानी भरा है।
बस दूर से देखकर लगता है, स्कूल है एक।


-प्रभात

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