किसी की अक्स पे कुर्बान, ये सारे गम तो नहीं होते
अगर होते भी तो क्या, तुम नहीं होते
हमने देखा है लहरों में नईया पार होते
डगमगाकर चलते और फिर शांत होते
खेवनहार की साहस पर तरंगों को शर्मशार होते
कुछ दूर चलते और फिर सब पर अधिकार होते
किन्हीं पलकों के साये में ख्वाब पलते कम
नहीं होते
अगर होते भी तो क्या, तुम नहीं होते
-प्रभात
No comments:
Post a Comment
अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!