Wednesday 10 October 2018

बकवास


जन जीवन अस्त व्यस्त है
सड़कों का बुरा हाल है
घर में बवाल है
किधर से जाओगे
पैदल, गाड़ी से या फिर कंधे पर
मैंने कहा कविता करते हैं पहले

हाँ तो लड़की का चक्कर है
बहुतेरों में टक्कर है
कॉलेज का चुनाव आने वाला है
मैंने सोचा कहानी कुछ आगे जायेगी
लेकिन ये तो यही अटक गई
आप सोच रहे होंगे कहानी मज़ेदार है
लेकिन बता दूं इसमें न कोई किरदार है
बस बात नहीं बकवास है
अब तक पढ़ लिए हो तो सलाम है
फिर मिलते हैं




तुम्हारा नाम


चलो घूम आएं कहीं दूर ही सही
कोई अफसाना तो लिखेंगे।

मंजिल की चाहत में भटक जाएं
तो कुछ तजुर्बा तो बताएंगे।

हां, अगर तुम साथ छोड़ भी दो
तो भी तुम्हारा नाम बताएंगे।

मुसाफिर बनने की यही खुशी है
हर जीत तुम्हारे नाम कर जाएंगे।


-प्रभात

बहुत पास हो तुम


कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत पास आने का मन करता है
तस्वीरः गूगल साभार


नजरें मेरी अगर तस्वीर क्लिक कर पातीं
तो मैं तुम्हें भी दिखा देता एक छाया ही सही
अगर मेरी तरह तुम सोच पाती
वो मुस्कान जिसे मैं अनुभव करता हूँ
दिन-रात मुझे हँसाती रहती हैं
जब भी मैं खामोश होता हूँ,
तुम्हारे चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाने का मन करता है

कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत पास आने का मन करता है

हारा हुआ मेरा जिस्म शून्य सा खाली खाली लगता है
न जाने क्यों तुमसे मिलता हूँ तो होली दीवाली लगता है
लिबास लिपटे हों मन के तुम्हारे, मेरे बदन पर
हर सांस छूकर मिल रही तुम्हारी लगता है
शाम को गगन में निहारते दिन प्यारा लगता है
जब भी मैं ख्वाब देखता हूँ
तुम्हारे करीब रहकर भी और करीब जाने का मन करता है

कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत पास आने का मन करता है


-प्रभात

ये सफर है, यूँ ही चलता जा

ये सफर है, यूँ ही चलता जा
खुद से उम्मीद कर सिर्फ और कुछ नया करता जा
उदासियों का भी दौर आता है, नफरतों का साज भी सजता है
हमसफर को सोचने दे कुछ, तू खुद से प्रेम करता जा


हमें संभालना आ गया है खुद को
अब सभी को संभाल लेंगे हर कदम।

जिंदगी भर गीत गाऊंगा तुम्हारे इश्क़ में
ये खुदा चाहा तो मिलते रहेंगे हरदम।

दुआओं में महफूज हो, मेरी न होके भी
कुछ और नहीं जो न कह सको हमदम।

-प्रभात