कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती
हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत
पास आने का मन करता है
तस्वीरः गूगल साभार |
नजरें मेरी अगर तस्वीर क्लिक कर
पातीं
तो मैं तुम्हें भी दिखा देता एक
छाया ही सही
अगर मेरी तरह तुम सोच पाती
वो मुस्कान जिसे मैं अनुभव करता
हूँ
दिन-रात मुझे हँसाती रहती हैं
जब भी मैं खामोश होता हूँ,
तुम्हारे चेहरे के पास अपना चेहरा
ले जाने का मन करता है
कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती
हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत
पास आने का मन करता है
हारा हुआ मेरा जिस्म शून्य सा
खाली खाली लगता है
न जाने क्यों तुमसे मिलता हूँ तो
होली दीवाली लगता है
लिबास लिपटे हों मन के तुम्हारे,
मेरे बदन पर
हर सांस छूकर मिल रही तुम्हारी
लगता है
शाम को गगन में निहारते दिन
प्यारा लगता है
जब भी मैं ख्वाब देखता हूँ
तुम्हारे करीब रहकर भी और करीब
जाने का मन करता है
कुछ हंसी और कुछ खुशी जब भी होती
हैं लबों पर
तुम्हारे गुलाबी होठों के बहुत
पास आने का मन करता है
-प्रभात
हर मोड़ पर
ReplyDeleteमिल जाते हैं फिर फिर
न हो के जुदा
पूछे ये ख़ुदा से
ये उसकी लिखी
अपनी क़िस्मत नहीं
तो फिर क्या है
Waah shandar....kavi
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